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संविधान का सवाल और दलितों के मोहभंग का रिश्ता क्या कहलाता है? बीजेपी और बीएसपी से क्यों खिसके दलित वोटर्स?

संविधान का सवाल और दलितों के मोहभंग का रिश्ता क्या कहलाता है? बीजेपी और बीएसपी से क्यों खिसके दलित वोटर्स?

Source: Navbharat Times

लखनऊ: समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने बीते 13 अप्रैल को बिजनौर के नहटौर में पार्टी के उम्मीदवार दीपक सैनी के समर्थन में प्रचार करते हुए कहा था कि यह संविधान और लोकतंत्र बचाने का चुनाव है। एक समय समुद्र मंथन हुआ करता था और यह संविधान मंथन का समय है। राहुल गांधी और अखिलेश की ओर से चुनाव प्रचार के दौरान बार-बार संविधान बचाने का मामला उठाया गया।

आंकड़ों की बात करें तो बीजेपी ने मोटे तौर 11 राज्यों में SC रिजर्व्ड 82 सीटों में से 30 सीटें जीती हैं, जबकि पिछली बार पार्टी ने ऐसी 46 सीटों पर कब्जा किया था, जिनमें से ज्यादातर यूपी से थीं। 2019 में राज्य की 17 SC रिजर्व्ड सीटों में से 15 बीजेपी के खाते में गई थी, हालांकि इस बार 7 सीटें ही बीजेपी की झोली में आ पाईं।

SC-ST रिजर्व्ड सीटें विपक्ष की झोली मेंमाना जा रहा है कि विपक्ष देश के दलित समुदाय तक अपनी यह बात पहुंचाने में कामयाब रहा है कि बीजेपी बाबा साहेब के बनाए संविधान को बदल सकती है। परिणाम बताते हैं कि देश की 131 SC-ST रिजर्व्ड सीटों में से बीजेपी के हाथ इस बार 55 सीटें आई हैं, जबकि पिछली बार ऐसी 77 सीटें बीजेपी ने जीती थी, वहीं SC-ST रिजर्व्ड ऐसी करीब 61 सीटें विपक्ष की झोली में गईं।

मायावती का लगातार गिरता वोट शेयरदलित राजनीति के चुनावी पटल से धीरे-धीरे फिसल रहीं मायावती के लिए भी हालात दस साल पहले वाले ही लग रहे हैं, उनका वोट शेयर लगातार कम हो रहा है। इस बार यूपी में मायावती का वोट शेयर पिछली बार की तुलना में 10% गिरा है। पिछली बार यह 19% था और इस बार 9% ही रह गया है।

नॉन जाटव वोट भी समाजवादी पार्टी के खाते मेंराजनीतिक विश्लेषक बद्रीनारायण कहते हैं कि इन सीटों पर जीत का गणित गैर दलित वोट से तय होता है। अगर गैर दलित में ओबीसी विपक्ष में बड़ी संख्या में किसी और को वोट देते हैं, तो चुनाव में हार होगी ही, और नॉन जाटव वोट भी समाजवादी पार्टी की ओर गया है। हालांकि यशवंत की थ्योरी थोड़ी अलग है। वह कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में दलित वोट बैंक थोड़ा बीएसपी से एसपी की ओर शिफ्ट हुआ है, खासकर वहां जहां समाजवादी पार्टी ने नॉन जाटव दलित चेहरों को टिकट दिया है। बीएसपी के वोट फीसद में तीन फीसदी की गिरावट है।

यूपी की कहानी पूरे देश से अलगगठबंधन की ओर जो दलित वोट गया है, वह कांग्रेस की वजह से गया है, ना कि एसपी के कारण। यूपी का देश भर का अपना वोट शेयर जस का तस है। यूपी की कहानी पूरे देश से अलग है और साथ ही राजस्थान की भी, क्योंकि इसके पीछे वजह बीजेपी की आपसी कलह, टिकटों का गलत बंटवारा, काम न करने वाले सांसदों के टिकट नहीं काटा जाना भी शामिल है।

हरियाणा में जाट-दलित ने दिया कांग्रेस का साथवहीं हरियाणा में भी जाटों के साथ-साथ दलितों ने भी कांग्रेस पर भरोसा जताया है। अंबाला और सिरसा, दोनों ही SC आरक्षित सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की। जानकार कहते हैं कि हरियाणा जैसे राज्य में जाट और दलित समीकरण पहले भी कांग्रेस के साथ रह चुके हैं और इस बार भी यही हुआ है।

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